लाउडस्पीकर का ईश्वर,अल्लाह, वाहेगुरु की आराधना से संबंध
कुछ मंदिरों के गुम्बद से लाउडस्पीकर उतारे जाने का जो आदेश न्यायालय ने दिया , मैं उसका स्वागत करता हूँ । सिर्फ कुछ मंदिरों से ही नही बल्कि देश के प्रत्येक मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे पे लगा लाउडस्पीकर उतार दिया जाना चाहिए , क्योंकि न अल्लाह मियां बहरे हैं न भगवान जी ……..
लाउडस्पीकर का आविष्कार / प्रचलन सिर्फ कुछ 50 — 60 साल पहले हुआ है । ईश्वर की आराधना पहले भी होती थी और आगे भी होती रहेगी । लाउडस्पीकर का ईश्वर अल्लाह वाहेगुरु की आराधना से कोई संबंध नही है ।
पिछले साल मैं अपने एक मित्र से मिलने गया था। तब वो दिल्ली Metro में नौकरी करते थे और शास्त्री पार्क स्थित मेट्रो कॉलोनी में रहते थे । सुबह 4 बजे पहली अजान हुई …….और फिर उसके बाद अगले आधे घंटे तक , हर दो मिनट बाद अजान ……उनकी Colony के पास बांग्लादेशी घुसपैठियों की बहुत बड़ी बस्ती है …..उसमे सैकड़ों मस्जिदें हैं ।
सबके पास लाउडस्पीकर हैं ….सुबह 4 बजे नींद हराम कर देते हैं ।
जैसी नींद शास्त्री पार्क वालों को आती है सुबह 4 बजे , वैसी ही नींद उज्जैन वालों को आती है और वैसी ही अमृतसर जालंधर वालों को आती है …….
देश मे लाउडस्पीकर और DJ पे सख्त Regulation की ज़रूरत है । आपके घर Function है , आपका नाचने का मन है तो नाचो भाई , मेरा जीना क्यों हराम करते हो ……..खूब DJ बजाओ , पर अपने घर । आपके DJ की आवाज़ अनावश्यक मेरे कान में नही पड़नी चाहिए ।
खूब धर्म कर्म कीजिये । सुबह 4 बजे ही नही बल्कि सारी रात कीजिये । रात 9 बजे गला फाड़ फाड़ के भगवान को याद करना शुरू कीजिए और अगली सुबह 10 बजे तक कीजिये , पर अपने घर मे कीजिये ।
आपकी ईश्वर आराधना मैं क्यों सुनूं ??????
और आप अपने ईश्वर की आराधना मुझे जबरदस्ती क्यों सुनाना चाहते हैं ??????
ईश्वर अल्लाह वाहेगुरु की आराधना आपका नितांत निजी मामला है । उसमें मुझे क्यों involve करते हैं आप ?????
लाउडस्पीकर का प्रयोग सिर्फ और सिर्फ Enclosed Area में सीमित समय के लिए और सीमित तीव्रता की ध्वनि के साथ होना चाहिये । देश के सभी धर्मस्थलों पे लगे लाउडस्पीकर तत्काल उतारे जाएं ।